అతి బలవంత హనుమంత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
माया फील गुड की [ व्यंग्य ]
गंगा- सेवा के दस दिन (छठा दिन)
मौसम किसका गुलाम रहा है कभी
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
कैसी घड़ी है, कितनी खुशी है
इस देश की ख़ातिर मिट जाऊं बस इतनी ..तमन्ना ..है दिल में l
जीवन में प्राकृतिक ही जिंदगी हैं।
*सब पर मकान-गाड़ी, की किस्त की उधारी (हिंदी गजल)*
कल शाम में बारिश हुई,थोड़ी ताप में कमी आई
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व