ग़म ज़दा लोगों से जाके मिलते हैं
पारिवारिक संबंध, विश्वास का मोहताज नहीं होता, क्योंकि वो प्र
दिल में हिन्दुस्तान रखना आता है
दिल ये इज़हार कहां करता है
*सभी के साथ सामंजस्य, बैठाना जरूरी है (हिंदी गजल)*
अंजाना सा साथ (लघु रचना ) ....
याद करने के लिए बस यारियां रह जाएंगी।
तुमसे करता हूँ मोहब्बत मैं जैसी
दिव्यांग वीर सिपाही की व्यथा
7. *मातृ-दिवस * स्व. माँ को समर्पित
ये आप पर है कि ज़िंदगी कैसे जीते हैं,
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
लाल बहादुर
Sarla Sarla Singh "Snigdha "