” आज भी है “
मेरी आँखों में तुम्हारी तस्वीर आज भी है….
घायल पड़ी मेरे पास मेरी तकदीर आज भी है….
मेरे दिल की गलियों से थें तुम जब गुजरे,
उन निशानों के उगते तीर आज भी है….
हाथ मेरा जिस अंदाज से तुमनें पहली दफ़ा
था पकड़ा, उनमें जलती अंगार आज भी है….
तुम भुल गये होगें शायद आवाज मेरी धड़कनों की
मेरी सांसों पर तुम्हारा नाम लिखा मगर आज भी है….
आजाद हो तुम आज भी मेरी मोहब्बत में
लेकिन मुझ पे, तुम्हारा अधिकार आज भी है….
दुनिया मैंने दिल को खुलकर कभी दिखलाई ही नही
तुम्हारी ही दो आंखों में मेरा संसार आज भी है….
लेखिका- आरती सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश
मौलिक एवं स्वरचित रचना