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9 Sep 2021 · 1 min read

आज फूट पड़ेंगे गान मेरे!

शीर्षक – आज फूट पड़ेंगे गान मेरे

विधा – गीत(छंदमुक्त)

परिचय- ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़ सीकर राज.
मो. 9001321438
ईमेल – binwalrajeshkumar@gmail.com

आज फूट पड़ेंगे गान मेरे
रोते-रोते कलकंठों से।
दुनिया डूब रही चाह में
मैं फिरता – गाता अपना गान
उस मजदूर-किसान की गाथा
जहाँन जिसे भूला बैठा।
आज फूट पड़ेंगे गान मेरे
रोते-रोते कलकंठों से।

छीनती जाती रोटी मुख की
इज्जत लुटती चौराहें पर
रक्तपात है कब से चालू
मेरी माँ की माटी पर
लूट-खोस की गाथा का अब
गान नहीं गा सकता मैं
भड़के हर छाती चिंगारी
ऐसी तान सुना सकता मैं।
आज फूट पड़ेंगे गान मेरे
रोते-रोते कलकंठों से।

पंख लगे सिंहासन की गाथा का
अब गान नहीं गा सकता मैं
दुबले-कुचले जन की बातें
रोज सुनाता जाता मैं
उद्-घोष क्रांति का कब से
नित ही करता जाता मैं
आज फूट पड़ेंगे गान मेरे
रोते-रोते कलकंठों से।

सरकारें लूटती सिन्दूर माँग का
चमक लूटती चेहरों की
छिपा बैठा झुर्रियों में दुःख
होठों पड़ी पपड़ी की गाथा
नित रोज सुनाता जाता मैं।
आज फूट पड़ेंगे गान मेरे
रोते-रोते कलकंठों से।

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 161 Views
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