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8 Sep 2017 · 1 min read

आज फिर यादों का जन्म हो गया

सारी यादों का था कत्ल हो गया
आज फिर उससे मिलन हो गया

गुज़रा हुआ कल था समक्ष फिर
आज फिर दिल में जख्म हो गया

दर्द में तड़पते रहे रात भर
बेअसर अब मरहम हो गया

यादों के बोझ तले दबे रहे
जीना फिर मुश्किल हो गया

टपकते रहे मोती आँखों से
सुबह सब समुंद्र हो गया

तिश्रगी भी थी,और रुस्वाई भी
मुश्किल अब लबों को सिना हो गया

दुश्मन नही, नदीम थे तुम तो
उनकी नज़र में अब दुश्मन हो गया

अश्रु जो मिले बारिश से
सब बरसता मौसम हो गया

नदी का मीठा बहता पानी
आज देखो समुंद्र हो गया

आज फिर से यादों का जन्म हो गया
भूपेंद्र यादों की कब्र में दफ़न हो गया

भूपेंद्र रावत
8।09।2017

1 Like · 307 Views

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