आज फिर यादों का जन्म हो गया
सारी यादों का था कत्ल हो गया
आज फिर उससे मिलन हो गया
गुज़रा हुआ कल था समक्ष फिर
आज फिर दिल में जख्म हो गया
दर्द में तड़पते रहे रात भर
बेअसर अब मरहम हो गया
यादों के बोझ तले दबे रहे
जीना फिर मुश्किल हो गया
टपकते रहे मोती आँखों से
सुबह सब समुंद्र हो गया
तिश्रगी भी थी,और रुस्वाई भी
मुश्किल अब लबों को सिना हो गया
दुश्मन नही, नदीम थे तुम तो
उनकी नज़र में अब दुश्मन हो गया
अश्रु जो मिले बारिश से
सब बरसता मौसम हो गया
नदी का मीठा बहता पानी
आज देखो समुंद्र हो गया
आज फिर से यादों का जन्म हो गया
भूपेंद्र यादों की कब्र में दफ़न हो गया
भूपेंद्र रावत
8।09।2017