आज फिर तेरे शहर से….
आज फिर तेरे शहर से मेरे नाम का पैगाम आया,
भूले बिसरे पल फिर वो नाम कर गया….
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मन बहका….तन महका…
फिर कोई अधूरी ख्वाहीश जगा दिया….
आज फिर तेरे शहर से…..
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बारिश का वो पानी…तेरी मुहब्बत का वो कोहरा…
दो साँसों को मिलाकर एक आवाज सुना गया…..
आज फिर तेरे शहर से…..
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कभी हिचकिचाहट….तो कभी पास आने की तड़प…..
तुमसे जो बुझे वो अगन याद दिला गया….
आज फिर तेरे शहर से….