✍️आज फिर जेब खाली है✍️
✍️आज फिर जेब खाली है✍️
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आज तन्हा फिर जेब खाली है
कमबख़्त जिंदगी जैसे गाली है
वो बुझा ना पाया प्यास अपनोकी
नीर की भरी सुराई आज खाली है
वो मासूम ढूंढ रही है अपनी भूख
फिर भी चेहरे पे उसके लाली है
ये तमस कैसा ये दिल में ग़ुबार है
पूनम के चाँद में भी रात काली है
ये कोई मसला है मंदिर मस्ज़िद का ?
वो कह रहे सारे दस्तावेज़ जाली है
चल कही ढूँढते है अमन का चमन
वो जहाँ बता इँसा ने जंग टाली है?
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✍️”अशांत”शेखर✍️
05/05/2022