*”आज फिर जरूरत है तेरी”*
“आज फिर जरूरत है तेरी”
उदास अँखियाँ जब किसी को ढूंढती है,
तेरे सिवा मेरे पास और कोई नजर नहीं आता है।
बस मेरे कान्हा तेरा दर्शन ही मुझे बहुत ही भाता है।
अकेला छोड़ नहीं जाना मुझे तेरा सहारा काफी है,
जीवन पथ पर चलने का आसरा पाया है।
आज फिर जरूरत है तेरी
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आकर हाथ पकड़ लो साँवरिया हे कृष्ण मुरारी,
बंशी की मधुर धुन सुना अंतर्मन जगा दो हमारी,
ना कोई उमंग न कोई तरंग, भींगी आंखे नम हो गईं,
बस इतनी सी दिल में तमन्ना तुझे देख खुश हो जाऊं मैं,
आज फिर जरूरत है तेरी
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किससे कहें अपने दिल का अफसाना ,
कोई रूठे कोई न मनाए क्या करे अब तू हमें बतलाना,
गिले शिकवे ये दूरियां मजबूरियां ,
कौन समाधान करे ,
बस कान्हा तेरे दर्शन की प्यासी शशि दासी चरणों पे बैठी हुई,
अब आके दर्श दिखला जाना बस एक तेरी जरूरत काफी है।
आज फिर जरूरत है तेरी
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जीवन कर्म धर्म युद्ध सा संग्राम हो रहा ,
संघर्षो से जूझते हुए डटे हुए हैं ,
धैर्य संयम रखते हुए एक दूसरे को हिम्मत हौसला अफजाई बढ़ाते हुए ,
सच्चे प्रेम की तलाश में भटक रहे,
आकर हाथ पकड़ लो बनवारी सच्ची राह दिखला जाना।
आज फिर जरूरत है तेरी
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अज्ञान तिमिर हटा दो ,ज्ञान प्रकाश अंतर्मन चैतन्य जगा देना,
वो गीता का ज्ञान दे ,मार्ग दर्शन मुझे प्रेरणा देकर,
जीवन उद्धार करा देना।
उम्र के इस पड़ाव पर अब कदम , डगमगाने लगा ,
भूली बिसरी यादों में गम भुलाकर नए प्रयासों से,
हसीन सपने खुशियों से भरी चेहरों पे मुस्कान बिखेर,
आज मुझे बहुत कुछ समझ कहने को जी चाहता है।
पल हसीन ,खुशियों के गुजारने चेहरों पे मुस्कान बिखेर
आज फिर जरूरत है तेरी
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बीत गए वो पुराने जमाने की रीति रिवाजों में,
नई पीढ़ी के नए निराले अंदाज मिजाज बदल गए,
दर्द सीने में छुपा कर नई दिशा की ओर मुड़ जाते हैं ,
किससे करें उम्मीद वो आस लगाए बैठे हुए कबसे,
अब तकदीर बदल कर देख रहे , तुम्हीं से आस लगाए बैठे हुए हैं।
आज फिर जरूरत है तेरी
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मानवता भ्रष्ट हो गई अत्याचार पाप बढ़ गए ,
जीवन नैया डगमग डोल रही ,कुछ समझ ना आए अब,
कश्ती मझधार पे खड़ी हुई है,पतवार पकड़ लो,
भवसागर पार उतारने नई दिशा बतलाने अब अवतार ले धरती पर आ जाओ।
आज फिर जरूरत है तेरी
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शशिकला व्यास शिल्पी✍️