आज फ़िर
आज फ़िर
मेरे ख्वाबों को
रोशन कर दिया तुमने
बैठे रहे देर तक चुप …
तुम्हारे काँधे पर सर
टिका कर …
न मन की व्यथा कही,
न तन की पीड़ा …
बस..
हाथो में लेकर हाथ
आँखों में तेरी झांकते रहे
लफ्ज़ ख़ामोश हो गए
धड़कने हाल ए दिल
कहती रहीं,
मैं सुनता रहा रागिनी तेरे
धड़कनों की
तुम मेरे लबों पर रख कर
उंगलियां अपनी
ख़ामोश मुझे करती रहीं
हिमांशु Kulshrestha