आज पानी पर हाथों से
आज पानी पर हाथों से लकीर बनाने आया
आईना दिखाकर अंदर की पीर बताने आया
अपने नगर में धोखेबाज़ लोग बहुत है साथियों
नामचीन लोगो को मैं आज फकीर बनाने आया
जिस्मों के बाजार में बिकती आबरू कौड़ीयो में
जहीन खरीदारों को आईना में शरीर दिखानेे आया
मुमकिन हो की इस शहर में अमन चैन फिर से लौटे
सियासत की दुकानों के जहरीले तीर लौटाने आया
खालीपन लिये बैठे है आजकल के मशीनी लोग
अशोक कहाँ तू भी मशीनों का जमीर जगाने आया
अशोक सपड़ा की कलम से दिल्ली से