आज दिल मेरा
आज दिल मेरा बड़ा बेकरार है।
किसी अपने ने कहा तू बेकार है।।1।।
क्या पैसे कमाना ही है ज़िंदगी।
शायद जीवन का यही आधार है।।2।।
निकल पड़ा हूँ जानिबे मंजिल मैं।
ना कोई साथी है , ना कोई यार है।।3।।
पार करना हैं मुझे परेशानियों का समंदर।
हूँ अकेला तन्हा ना कश्ती है ना पतवार है।।4।।
खुद से लड़ना है ज़िन्दगी में अब तो मुझे।
अब किसी से ना कोई जीत ना कोई हार है।।5।।
दिल ज़हन आँख खुली है अरसे बाद मेरी।
मीलों का सफर है और मंज़िल उस पार है।।6।।
सज्दे मे गिरकर दुआ मांगूंगा अपने रब से।
मायूस कोई ना होता है ये उसका दरबार है।।7।।
थक कर मायूस हूँ पर अभी हारा नहीँ हूँ मैं।
पा ही लूंगा मंज़िल को ये खुद पर ऐतबार है।।8।।
नही चाहिए खुशी जो रोके मंज़िल को पाने से।
जान लेगी यह दुनियाँ भी मेरा ऐसा किरदार है।।9।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ