Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Mar 2023 · 1 min read

आज तो ठान लिया है

आज तो ठान लिया है
तेरे दर से मौला
मुरादों की झोली
भर के उठेंगे

303 Views
Books from shabina. Naaz
View all

You may also like these posts

बुला रहा है मुझे रोज़  आसमा से कौन
बुला रहा है मुझे रोज़ आसमा से कौन
Kanchan Gupta
शरीर
शरीर
Laxmi Narayan Gupta
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
बात उनकी कभी टाली नहीं जाती हमसे
बात उनकी कभी टाली नहीं जाती हमसे
Dr Archana Gupta
11, मेरा वजूद
11, मेरा वजूद
Dr .Shweta sood 'Madhu'
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
Bidyadhar Mantry
गुनगुनाए तुम
गुनगुनाए तुम
Deepesh Dwivedi
दिल से हमको
दिल से हमको
Dr fauzia Naseem shad
*चाय और चाह*
*चाय और चाह*
Shashank Mishra
रिश्ते की नियत
रिश्ते की नियत
पूर्वार्थ
क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता
क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता
Girija Arora
इश्क
इश्क
shreyash Sariwan
कैसी दुनिया है की जी भी रहे है और जीने के लिए मर भी रहे है । क्या अजब लीला है तेरी की जो खो रहे ह, आखिर वही पा रहे
कैसी दुनिया है की जी भी रहे है और जीने के लिए मर भी रहे है । क्या अजब लीला है तेरी की जो खो रहे ह, आखिर वही पा रहे
Ashwini sharma
#संघ_शक्ति_कलियुगे
#संघ_शक्ति_कलियुगे
*प्रणय*
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
नया साल
नया साल
umesh mehra
निर्वात का साथी🙏
निर्वात का साथी🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
23/219. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/219. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खामोशियों
खामोशियों
manjula chauhan
*बहन और भाई के रिश्ते, का अभिनंदन राखी है (मुक्तक)*
*बहन और भाई के रिश्ते, का अभिनंदन राखी है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
"बात हीरो की"
Dr. Kishan tandon kranti
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
Manisha Manjari
दोहा पंचक . . . अन्तर्जाल
दोहा पंचक . . . अन्तर्जाल
sushil sarna
*चिट्ठी*
*चिट्ठी*
Meera Thakur
पा कर भी उदास थे, ख़ो कर भी उदास थे,
पा कर भी उदास थे, ख़ो कर भी उदास थे,
Iamalpu9492
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Extra Charge
Extra Charge
AJAY AMITABH SUMAN
बनोगे मेरे
बनोगे मेरे
sheema anmol
- प्रेम के पंछियों को सिर्फ प्रेम ही दिखता है -
- प्रेम के पंछियों को सिर्फ प्रेम ही दिखता है -
bharat gehlot
आफ़ताब
आफ़ताब
Atul "Krishn"
Loading...