आज खुशी भर जीवन में।
दुखमय जीवन को बहला कर,
आज खुशी भर जीवन में।
क्षण भर आहत विश्व हँसा कर,
पुष्प खिला अपने मन में।
पल-पल स्वप्न भरें पलकों पर,
झूल रहे सुख सागर है।
युग-युग की रजनी छटने पर,
सुंदर स्वर्ण धरा पर है।
जल कण अंबर से बरसा कर
भींग जरा मन सावन में।
दुखमय जीवन को बहला कर,
आज खुशी भर जीवन में।
कण-कण यौवन को बिखराकर,
बाँट रहा सुख जीवन का।
मधुमय मादकता छलका कर,
चूम रहा रस यौवन का।
सुखमय मोहक रंग चुरा कर,
हो खुशियाँ सब दामन में।
दुखमय जीवन को बहला कर,
आज खुशी भर जीवन में।
रवि जग में भरता नित आकर
जीवन मोदक धार सभी
पग-पग गीत भरे झरने झर,
झंकृत हो मन तार सभी।
घर-घर जाग उठे नव जागृति,
जीवन अंकुर आँगन में।
दुखमय जीवन को बहला कर,
आज खुशी भर जीवन में।
लक्ष्मी सिंह