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22 Feb 2022 · 1 min read

*आज के हालात (अतुकांत कविता)*

आज के हालात (अतुकांत कविता)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
हमारे एक मित्र ने हमसे पूछा :
“आज के हालात को देखकर
आपके मस्तिष्क में क्या विचार पलता है ?”

हमने कहा कि आज के हालात का पहला सबक तो यह है
कि घी हमेशा टेढ़ी उंगली से ही निकलता है।
××××××××××××
दूसरा सबक यह है
कि आज के परिप्रेक्ष्य में अक्ल से भैंस बड़ी है ,
और जिसके पास लाठी है ,यह भैंस उसके ही आँगन में खड़ी है।
××××××××××××
तीसरा सबक यह है कि भैंस को भले ही घी मत खिलाओ
मगर लाठी को जरूर तेल पिलाओ।
आज जिसके पास लाठी है,
उसी के पास बंगला और कार है
जिसके पास दिमाग है , वह बेरोजगार है।
××××××××××××××
मित्र बोले : आपने तो प्रतीकों में अपनी बात कही है
क्या आपकी यह प्रवृत्ति सही है ?

हमने कहा -“आज के हालात का अन्तिम सबक तुम्हें बताने से जो रह गया था, वह यही है
कि आज किसी भी विषय पर सीधे-सीधे कुछ भी कहना खतरे से खाली नहीं है।”
■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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