आज के समय की समीक्षा
कुछ क्षणिकाये आज के समय की
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इंसानियत जा चुकी हैं।
हैवानियत आ चुकी हैं।।
इन्सान अब सो चुका है।
हैवान अब जग चुका है।।
चुनावो का आज दौर है।
नेताओं का आज शोर है।।
बिजली पानी भी मुफ्त है।
राशन मकान भी मुफ्त है।।
भले ही लालच बुरी बला है।
पर जीतने की यही कला है।।
भ्रष्टाचार आज बेलगाम है।
करते सभी उसे सलाम है।।
भ्रष्टाचार चरमसीमा पर है।
जवान देश की सीमा पर है।।
सौ में से नब्बे बेईमान है।
फिर भी मेरा देश महान है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम