“आज के कुछ कवि”
कविता
“आज के कुछ कवि”
कवियों में होड़ लगी उत्तम कवि कहलाने की,
कोशिश करते हैं अनगिनत कविता बरसाने की।
आलोचना नहीं स्वीकार,
कविता रह गई केवल दिखाने की।।
लिखते अपनी मर्ज़ी से,
पर इच्छा नहीं उत्कृष्ट रचना रच पाने की।
इनकी कविता पढ़ कर ,
स्वयं ही मन करता कवि बन जाने की।।
दिखावे की दुनिया में उलझ कर ,
गिरा दिया उन्होंने अपनी कविता का स्तर।
कविता लिखें खेल-खेल में,
लालसा केवल नाम कमाने की।
आवश्यक्ता नहीं उन्हें अपनी रचना पर इतराने की,
इंतजार है हमें एक अच्छी कविता आने की।
ये है दास्तान,
आज के कुछ कवियों की नादानी की।।
स्वरचित एवं मौलिक,
✍?कीर्ति
14.06.21