#आज केसरी होली है
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★ #आज केसरी होली है ★
आज केसरी होली है
मनभाते अब खेलो खेल
आज बड़ा सुभीता है
लेकिन उससे मत कहना
बच्चे भूखे हैं जिसके
जो खून के आंसू पीता है
आज केसरी होली है . . . . .
रेल चलेगी बंदूक की गोली
मिल-बैठ बतियाएंगे सब यार
हमने दुनिया को जीता है
उससे थोड़ा बचके निकलना
जिसके काँधे पत्नी का शव
युगों-सा इक-इक कोस जिसका बीता है
आज केसरी होली है . . . . .
घर-घर में शौच का आलय
सुअवसर दूर-दूर बतियाने का
खीसे खोंसा बैंक मीठा-मीठा चुभीता है
उनको भी भर देंगे सपनों से
जिनके सिरों पर छत नहीं
जिनका खाता रीता है
आज केसरी होली है . . . . .
हे माता हे माँ भारती
तेरा जाया तेरी बोली भूल गया
फिर भी जगता है और जीता है
छाती तेरी हग-हग के भर दी
खावे है अब यूरिया
बोतल का पानी पीता है
आज केसरी होली है . . . . .
लुटेरों के मानस-पुत्र सब खेत रहे
अब हम हैं हमारे अपने हैं
रण-क्षेत्र में अब कोई भालू है न चीता है
बुलबुल नहीं न चिड़िया हैं हम
नए यार बतावेंगे जग को
हम आम हैं या कि पपीता हैं
आज केसरी होली है . . . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२