आज की सुबह
आज की सुबह की
खिड़की पर
मायूसी छा रही है किसी
कोहरे की धुंध की तरह
पोंछ दे
कोई आज की सुबह का उगता
नया सूरज
अपने हाथों की नरमी से
इसे
दिनभर प्यार की गर्म
सांसों से हौले हौले
सहलाते हुए
तो कुछ बात बने
एक मायूस बंदे का
दिन बन जाये
उसे भी जिन्दगी जीने का
कोई ख्वाब मिले
रात की रात को
सोचेंगे
दिन भर जीने का तो
कोई एक प्यार भरे
अहसास का
सामान मिले।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001