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11 Jun 2023 · 1 min read

आज की सुबह

आज की सुबह की
खिड़की पर
मायूसी छा रही है किसी
कोहरे की धुंध की तरह
पोंछ दे
कोई आज की सुबह का उगता
नया सूरज
अपने हाथों की नरमी से
इसे
दिनभर प्यार की गर्म
सांसों से हौले हौले
सहलाते हुए
तो कुछ बात बने
एक मायूस बंदे का
दिन बन जाये
उसे भी जिन्दगी जीने का
कोई ख्वाब मिले
रात की रात को
सोचेंगे
दिन भर जीने का तो
कोई एक प्यार भरे
अहसास का
सामान मिले।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
141 Views
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