आज की शाम मैं सूरज को
आज की शाम
मैं सूरज को ढलने नहीं दूंगी
यह क्या कि
हमेशा इसकी चलेगी
कभी कोई बात मेरी भी तो
चले
मैं सो जाऊंगी आज
थोड़ा जल्दी
सुबह जब आंख खुले तो
मुझे न सूरज का ढलना
दिखे और
न रात का आना
न जाना
बस जैसा सोने से पहले
छोड़ा था
वही का वही मंजर दिखे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001