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10 Jul 2020 · 1 min read

आज की दुनिया

अजीब हाल है इस दुनिया का
किस रास्ते पर जा रहे हैं लोग
एक दूसरे को नीचे गिराते हुये
ज़िंदा लाशों की सीढ़ी बनाते हुए
उपर चढ़े जा रहें हैं लोग ,
इन्हें मालूम नही
बढ़ रहे हैं हम वहीं
जहाँ से सबको गिराते हुये
चढ़ाई शुरू की थी अभी
अंत मालूम नही फिर भी
चढ़ाई करेगें ये ज़रूर सभी ,
क्योंकि दुनियाके कण – कण में
बस गयी है ये बात
बस उपर पहुँचना है
चाहे छोड़नी पड़े अपनी पहचान
कर्मों में कंस के समान ,
अब बदल नही सकती ये दुनिया
क्योंकि फिर से करनी पड़ेगी
सृष्टि ब्रम्हा को
और भेजना पड़ेगा धरती पर
एक नये आदम और हौवा को ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 07/12/83 )

Language: Hindi
2 Comments · 217 Views
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