आज की इस भागमभाग और चकाचौंध भरे इस दौर में,
आज की इस भागमभाग और चकाचौंध भरे इस दौर में,
हर कोई कुछ-न-कुछ तो है चाहता जीवन में।
चाहतों की इन पतंगों को मेहनत की बागडोर चाहिए,
हर उड़ते परिंदे को बंदिशों से दूर खुला आसमां चाहिए।।
होंगी मुश्किलें – कठिनाइयां इस पथ पर सदा,
देनी होंगी परीक्षाएं हमें भी यदा कदा।।
तभी तो होगी हमारी यह दास्तां मशहूर,
और मिलेगी हर मुसाफिर को उसकी मंजिल जरूर ।।
डूबे हैं आज संघर्षों के मझधार में हम और कई,
पाना है साहिल यह इच्छा जगी है मन में नई,
इसे पाने के लिए समझदार को काफी है एक इशारा,
जैसे नाविक के लिए काफी है दूर दिखता एक किनारा ।।
कल किसने देखा है तो क्यों करें इसकी फिक्र,
आने वाले लम्हों में स्वतः ही होगा इसका भी जिक्र।
जिक्र की फिक्र छोड़ ओढेंगे यदि परिश्रम की दुशाला,
तभी आज के इन अंधेरों को मिलेगा कल उजाला।।
मिलना और मिलाना तय है इस हेरा फेरी में,
रूठना मनाना भी है जीवन की इस तेरी मेरी में।
मिल जाएंगे कुछ अनजाने पहलू भी इस तरह,
एक सागर से मिल जाती है नदी भी जिस तरह।।