आज किस्सा हुआ तमाम है।
देखो हमारी जिन्दगी का आज किस्सा हुआ तमाम है।
जनाजा उठा है ऐसा हमारा जैसे कंधों पे लदा सामान है।।1।।
वादा किया था जो कभी वफाओं का हमनें तुमसे।
देखो मरकर भी ना लाए हम ओठो पर तुम्हारा नाम है।।2।।
मिलती नही कोई खैरो खबर हमको हमारे यार की।
ऐ हवा तू ही दे देना उनको हमारी मौत का पैगाम ये।।3।।
रह रह कर दर्द से चिल्लाते है हम तन्हा विरानियों में।
हमको मिलती नही शिफा कही किसी भी हाल में।।4।।
लो चल दिये अब हम तन्हा अकेले ही नए सफ़र को।
दूल्हा सा सजाया गया है हमको सफेद लिबास में।।5।।
तुम्हारी बेवफाई पर दिल को बड़ा ही रोना आया है।
देखना तुम भी बड़ा रोओगे एक दिन हमारी याद में।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ