Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2022 · 1 min read

आज का व्यक्ति

आज का व्यक्ति
छिप रहा है व्यक्तित्व के गूंगेपन में
जी रहा है व्यक्ति दो पाटन के बीच में
स्थिति है यह आज।
अस्तित्व कह रहा है व्यक्ति में
सच में चाहिए बदलाव
अंतःकरण में आज
करता वही कर्म , जिसमें स्वयं लाचार
आदत से मजबूर, स्वार्थ से भरपूर।
बलि देता अपनी इंसानियत का
इंसानियत, ईमानदारी ,नैतिकता
शब्द रह गए
प्राय: हरेक व्यक्तित्व में ।
जानते हुए मुकरना
अच्छी आदत है क्या?
सच में धरातल पर होना चाहिए बदलाव।
सचमुच मैं चाहिए सत्साहस।
शायद अपना साहस खो दिया व्यक्ति के व्यक्तित्व ने आज
पैसों के नाम पर हर एक सुबह शाम पर
सोचा करते हैं परआदत से मजबूर
अपने कर्म से गिरा करते हैं व्यक्ति ।
आज का व्यक्ति
विकास के शिखर पर
ऊंचाइयों की डगर पर
पर किस मूल्य पर
मानवीय गुणों को खोकर
तनाव के हरेक पल को लेकर
घूमा करते आज का व्यक्ति_ डॉ . सीमा कुमारी ,बिहार
भागलपुर, दिनांक-17-2-022की स्वरचित
. रचना जिसे आज
प्रकाशित कर रही हूं।.सत्‍साहस का अर्थ – अच्छा
काम करने का हिम्मत

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 170 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मां, तेरी कृपा का आकांक्षी।
मां, तेरी कृपा का आकांक्षी।
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*डॉ मनमोहन शुक्ल की आशीष गजल वर्ष 1984*
*डॉ मनमोहन शुक्ल की आशीष गजल वर्ष 1984*
Ravi Prakash
वतन से हम सभी इस वास्ते जीना व मरना है।
वतन से हम सभी इस वास्ते जीना व मरना है।
सत्य कुमार प्रेमी
*बाल गीत (पागल हाथी )*
*बाल गीत (पागल हाथी )*
Rituraj shivem verma
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
Bhupendra Rawat
राख का ढेर।
राख का ढेर।
Taj Mohammad
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
पूर्वार्थ
भारत शांति के लिए
भारत शांति के लिए
नेताम आर सी
व्यस्तता
व्यस्तता
Surya Barman
वो सुहाने दिन
वो सुहाने दिन
Aman Sinha
श्रेष्ठ बंधन
श्रेष्ठ बंधन
Dr. Mulla Adam Ali
भूख
भूख
RAKESH RAKESH
फकीर का बावरा मन
फकीर का बावरा मन
Dr. Upasana Pandey
बुला लो
बुला लो
Dr.Pratibha Prakash
कर सकता नहीं ईश्वर भी, माँ की ममता से समता।
कर सकता नहीं ईश्वर भी, माँ की ममता से समता।
डॉ.सीमा अग्रवाल
अद्य हिन्दी को भला एक याम का ही मानकर क्यों?
अद्य हिन्दी को भला एक याम का ही मानकर क्यों?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
श्रमिक  दिवस
श्रमिक दिवस
Satish Srijan
"पत्नी और माशूका"
Dr. Kishan tandon kranti
कौन हो तुम
कौन हो तुम
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रमेशराज की गीतिका छंद में ग़ज़लें
रमेशराज की गीतिका छंद में ग़ज़लें
कवि रमेशराज
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
कवि दीपक बवेजा
पल पल का अस्तित्व
पल पल का अस्तित्व
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरे राम
मेरे राम
Prakash Chandra
विश्वास
विश्वास
Bodhisatva kastooriya
भरे हृदय में पीर
भरे हृदय में पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
भ्रांति पथ
भ्रांति पथ
नवीन जोशी 'नवल'
*भारत नेपाल सम्बन्ध*
*भारत नेपाल सम्बन्ध*
Dushyant Kumar
की तरह
की तरह
Neelam Sharma
कहीं ना कहीं कुछ टूटा है
कहीं ना कहीं कुछ टूटा है
goutam shaw
यूंही सावन में तुम बुनबुनाती रहो
यूंही सावन में तुम बुनबुनाती रहो
Basant Bhagawan Roy
Loading...