आज का व्यक्ति
आज का व्यक्ति
छिप रहा है व्यक्तित्व के गूंगेपन में
जी रहा है व्यक्ति दो पाटन के बीच में
स्थिति है यह आज।
अस्तित्व कह रहा है व्यक्ति में
सच में चाहिए बदलाव
अंतःकरण में आज
करता वही कर्म , जिसमें स्वयं लाचार
आदत से मजबूर, स्वार्थ से भरपूर।
बलि देता अपनी इंसानियत का
इंसानियत, ईमानदारी ,नैतिकता
शब्द रह गए
प्राय: हरेक व्यक्तित्व में ।
जानते हुए मुकरना
अच्छी आदत है क्या?
सच में धरातल पर होना चाहिए बदलाव।
सचमुच मैं चाहिए सत्साहस।
शायद अपना साहस खो दिया व्यक्ति के व्यक्तित्व ने आज
पैसों के नाम पर हर एक सुबह शाम पर
सोचा करते हैं परआदत से मजबूर
अपने कर्म से गिरा करते हैं व्यक्ति ।
आज का व्यक्ति
विकास के शिखर पर
ऊंचाइयों की डगर पर
पर किस मूल्य पर
मानवीय गुणों को खोकर
तनाव के हरेक पल को लेकर
घूमा करते आज का व्यक्ति_ डॉ . सीमा कुमारी ,बिहार
भागलपुर, दिनांक-17-2-022की स्वरचित
. रचना जिसे आज
प्रकाशित कर रही हूं।.सत्साहस का अर्थ – अच्छा
काम करने का हिम्मत