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25 Dec 2020 · 1 min read

आज का मानव

कभी मानव बन कर जिया है तुमने। कभी गरीब को प्रेम से छुआ है तुमने। ईर्ष्या द्वेष मैं हमेशा जिया करते हो। कभी मानव होने का एहसास किया है तुमने। झूठी कहानी गढ़ कर सम्मान पा लिया है। कभी अंतर्मन से पूछा है तुमने। भीड़ का हिस्सा बनने का भूत सवार रहता है। कभी अलग हटकर कुछ सोचा है तुमने। लकीर के फकीर बनकर जीते हो तुम। कभी आत्ममंथन किया है तुमने। तुम झूठ में सदा अनवरत बहते रहते हो। कभी सत्य की राह पर पग बढ़ाया है तुमने

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 413 Views
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