आज का मानव
सोचकर कुछ ही पल ।
विचलित होगा ब्रह्मलोक सकल।।
होंगे विचलित चित्रगुप्त ।
देखकर मानव को आज पाप उन्मुक्त ।।
होंगे अचरज में शंकर शम्भु।
देखकर मानव बना स्वयम्भु।।
और आश्चर्य में होंगे भगीरथ ।
देखकर माँ गंगे की दशा सर्वत्र।।
कुन्ठित होंगे भी मधुसूदन ।
सुन कर इस धरा की क्रन्दन ।।
होंगी भावुक सी आज माँ जानकी।
देखकर दशा मनुज-मनुज के अज्ञान की।।
रही होंगी सोच गंगा मईया ।
विधाता अब पार भला कर
कैसे लगाऊँ मझधार में इनकी नईया।।
है जो आज का मानव ।
सर्वश्रेष्ठ थे उस काल में इनसे दानव।।