आज का बचपन
छोटा-सा बच्चा ,
हो जाए पढ़ने में अच्छा !
बोझ बढ़ा और बड़ा हुआ बस्ता,
बचपन में लदा सपनों का दर्जा ,
टॉपर बनने को दिन रात झींक रहा,
ट्यूशन पढ़ने से नहीं चूक रहा।
छोटा-सा बच्चा ,
हो जाए पढ़ने में अच्छा !
न मम्मी का प्यार,न पापा का दुलार,
मैडम जी के लिए बनो होशियार,
सहपाठी से ज्यादा प्रतिशत है लाना,
सोने खाने का ना सेहत का ध्यान।
छोटा-सा बच्चा ,
हो जाए पढ़ने में अच्छा !
प्रतिस्पर्धा बचपन से करना,
तनाव का दिन प्रतिदिन बढ़ना,
बारह महीने घर पर ही पढ़ना,
छुट्टीयों में न मौज न मस्ती !
छोटा-सा बच्चा ,
हो जाए पढ़ने में अच्छा !
ऊधम उत्पात न शरारतें करना,
न मामा बुआ के घर रातें बिताना,
पढ़-पढ़ कर लग जाए आँखों में चश्मा,
अरे ! बचपन को भी देख लेने दो अपना।
छोटा-सा बच्चा ,
हो जाए पढ़ने में अच्छा !
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।