“आज का दुर्योधन “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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क्यूँ कहूँ
आखिर तुझको, बता
जब बधिर तुम
बन गए हो
मुँह से कुछ भी
ना बोल कर
मूकता के जाल में
फँस गए हो !!
इशारे से भला
तुम क्या कहोगे?
इंद्रियाँ सारी शिथिल
हो गयी हैं
आँखों से भी तुम
कुछ कह पाते
रोशनी इसकी पूरी
चली गयी है !!
मौन धृतराष्ट्र
बन कर खड़े हो
अल्प संख्यक
पांडवों को कौन देखे?
चीरहरण नारियों का
हो रहा है
दुर्योधन
दुष्ट को कौन रोके?
कौरवों का
अत्याचार बढ़ रहा
झूठे सपने
कब तक दिखाएंगे?
वैमनस्यता को
जहन में रख
कब तक उसे
जिंदा जलाएंगे?
प्रतिशोध की
ज्वाला में रहकर
अपने लोगों को
ही जलाएंगे
सबने मिलकर
ताज पहनाया
तलवारों से
उसको मिटाएंगे?
देख अन्याय
दुष्ट कौरव का
श्रीकृष्ण सदा ही
आते रहते हैं
आततायी
कौरव को मिटाकर
नया
इतिहास बनाते रहते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस .पी .कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत