आज का इंसान भाग ०२
आज का इंसान एक आधुनिक आदमी बन गया है।वह इस जीवन की सच्चाई से दूर भाग रहा है।वह कड़ी मेहनत करने घबराने लगा है। और अपने आप गुलाम बन कर जिंदगी जीने लगा है।आज वह नकल करने का इस कदर दिवाना हुआ है।कि अपनी संस्कृति
मर्यादा , व्यवहार,सब भूल कर कहीं खो गया है। मुझे ऐसा लगता है कि समय की करवट के साथ साथ वह भी बदलने को मजबूर हो गया है।अपना अस्तित्व खोकर आगे बढ़ने का सपना देख रहा है।आज जो भी हो रहा है,वह स्वार्थ से परिपूर्ण और अपनत्व की भावना पर कायम हैं। शिक्षा और आध्यात्मिक ज्ञान का उसके मार्ग पर कोई असर दिखाई नहीं देता है।आज का इंसान मानव संवेदनशीलता को नही पहचानता ही नहीं है।
वह मनुष्य होकर भी उसके अंदर की शक्ति खत्म हो गई है वह जिस तरह से जीवन जी रहा है वह आमानुष का परिचायक है।कि उसे अपने पड़ोसी का नाम भी मालूम नहीं होता है।उसे किसी से मतलब नहीं रहता है। उसके अंदर एक ही धुन सवार है! पेट पालने वाली” कामों को सर्वोपरि मानता है।