आज का आदमी –आरके रास्तोगी
आज का आदमी,आदमी कहाँ रह गया है
वह तो आज की,चकाचोंध में बह गया है
अगर आज, आदमी,आदमी होता
तो वह आज की चकाचोंध में न बहता
आज के आदमी में,आदमियत निकल चुकी है
वह तो आज स्वार्थ के हाथो बिक चुकी है
अगर आज आदमी में स्वार्थ न होता
तो वह आज आदमियत से बंधा होता
आज आदमी,आदमी से कहाँ मिलता है
वह तो आज अपने मतलब से मिलता है
अगर आज आदमी मतलबी न होता
तो हर आदमी, हर आदमी से मिलता
अगर आज आदमी,आदमी ही होता
उसमे इर्ष्या,घर्णा,स्वार्थ भरा न होता
कितना अच्छा होता जो आदमी आदमी ही होता
तो सारा संसार कितना सुखमय होता
आर के रस्तोगी