आज कल !!
उलझी हुए परिस्थितियों के जकड़न में हूँ…
क्या कहूँ किस हाल में हूँ , मैं आजकल !!
तुम न देख पाओगे, मेरे हंसी के पीछे की उदासी ,
कुछ इस तरह नकाब पहने हुए हूँ , मैं आजकल !!
तुम न समझ पाओगे, दिल में उठती हुई पीडाओं को ,
कुछ इस तरह दर्द को पिरो रहा हूँ , मैं आजकल !!
माना हर वक्त का बदल जाना तय है एक दिन,
पर ये वक्त आसानी से गुजरता नहीं है आजकल !!
दिन-शाम जी रहा हूँ दुनियाभर की बातों में ,
पर रातों में , यादों में तेरी तड़पता रहता हूँ , मैं आजकल !!
क्या कहना जरूरी है, हर एक बातों को ,
बस दिल करता है, कोई बिन कहे समझ ले आजकल !!