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10 Dec 2016 · 1 min read

आज कल शायरी चल रही है सनम

आज कल शायरी चल रही है सनम!

मिलने की है यादें बिछड़ने के है गम!

गाऐ जा रहे है किस्से मुलाकातों के हम!

बेवफा न कहा तुझे किसीसे मेरे हमदम!

मिलना न हमको दोबारा तुम्हें मेरी कसम!

काफ़ी है इतना ना करना अब कोई सितम!

दिन तो छोटे थे रातें भी पड़ गई अब कम!

मुलाकातों की यादें है इन दर्दों पर मरहम!

बस कुछ इस तरह से जी रहे हम!

आज कल शायरी चल रही है सनम!

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