आज कल मैं
आज कल मैं,
क्या सोचती हूँ
मेरा दिल तो
धड़कता है
मेरा दिल मेरे पास है
लेकिन हक़ीक़त में नहीं है
वो तुम्हारे पास है
क्योंकि उसकी
धड़कन आप हो
उस धड़कन से
पैदा होने वाली
सांस भी तुम
‘तुम और ये
जो शयरग है
शय रग
जो बहुत
करीब होती है
वो भी तुम हो
सच कहूँ
मेरी ज़िंदगी तुम हो
मेरी ज़िंदगी तुम हो
मेरी ज़िंदगी तुम हो।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद