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29 Dec 2021 · 1 min read

आज आया था शहर

आज आया था शहर ।
————————–
नेतलाल यादव
***
आज आया था शहर
देखा पहर दो पहर
चौक-चौराहे से किया बात
गलियों से किया मुलाकात
सब एक दूसरे से
आगे निकलने की होड़ में
गोलगप्पे बेचने वाले तक भी
अर्थव्यवस्था की दौड़ में
सब अपने बच्चे को पढ़ा रहे हैं
इस तरह आगे बढ़ा रहे हैं
बच्चे पढ़ रहे हैं
निरंतर आगे बढ़ रहे हैं
कुछ बच्चे गाँव से शहर में
इसी मकसद से ही आये हैं
अपने साथ सपनों का एक
भरा बैग लेकर आये हैं
बाहर से ही नहीं
भीतर से देखा था शहर को
सुना था घरों से
आने वाली आवाजें
सिर्फ टेलीविजन की नहीं
लक्ष्य साधते ,कोचिंग संस्थानों में
पढ़ने वाले मेहनती बच्चे
उषा की पहली किरण से
अंतिम किरण तक
रात ,आधी रात तक
कम्पीटीशन का स्वाद
चखने वाले प्यारे बच्चे
भोजन का स्वाद ही भूल बैठे हैं ,
असली स्वाद पाने की खोज में
कभी दाल,आलू का चोखा तो
कभी भीगा हुआ चना
माँ के हाथों से बना
आचार और रोटी ही सही
कभी दूध और पाव रोटी खाकर
एक छोटे से कमरे में
एक छोटी- सी चौकी पर
सोता है ,उठकर कभी भी पढ़ता है
इस तरह, एक मेहनती छात्र
अपने जीवन को गढ़ता है ।।
000
नेतलाल यादव
नावाडीह, चरघरा, जमुआ, गिरीडीह, झारखंड ।।

Language: Hindi
1 Like · 240 Views

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