आज आप जिस किसी से पूछो कि आप कैसे हो? और क्या चल रहा है ज़िं
आज आप जिस किसी से पूछो कि आप कैसे हो? और क्या चल रहा है ज़िंदगी में? तो शायद आपको बहुत कम ही लोग सकारात्मक जवाब देते पाए जाएंगे कि हम मस्त हैं! ज़िंदगी भी मस्ती में कट रही है! बहुसंख्यकों का जवाब होगा कि कहां कुछ सही हो रहा है ज़िंदगी में, एकदम सारी प्रगति रुकी हुई है! हर प्रकार के संसाधन से लैश व्यक्ति ही ज्यादातर ख़ुद को दुःख में रहने की अभिनय करते पाए जाएंगे! इसका एक ही मतलब निकाला जा सकता है कि या तो इंसान सारी खुशियां पा लेने के बाद दुःख पाना चाहता है या उसे स्वतः मिल जाती है! या वो और सुख की चाहत में कि लोग उसे ऐसे आहत देखकर उसके सुख के लिए दुआएं करें! इसलिए ऐसा अभिनय करता है! वहीं एक आम इंसान जिसके पास ज़रूरत की भी सारी वस्तुएं मौजूद ना हों वह कभी खुद को असहाय समझने की चेष्टा नहीं करता! और आप उससे मिलो और उससे कुछ क्षण बात करो तो आपके नकारात्मक विचार उसी वक्त उसके जज्बे को देखकर ध्वस्त हो जायेंगे!