आज अपने से आपन ख़फा हो गइल…!!
बह्र :- २१२ २१२ २१२ २१२
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आज अपने से आपन खफ़ा हो गइल।
प्यार कइनी उहे बेवफा हो गइल।
घाव लागल जिगर में बा गहरा बहुत,
बेअसर जख्म पर हर दवा हो गइल।
ऊ ख़ुदा हो चुकल बा खता माफ बा,
प्यार हमरे हमें अब सजा हो गइल।
अब न घरवे रहल ना मिलल घाट ही,
इश्क़ सर पे चढ़ल ऊ हवा हो गइल।
नाव मझधार में बा सचिन अब फँसल,
नाख़ुदा बन ख़ुदा ही जुदा हो गइल।
✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार