आजा जान जाने आई
आजा जान जाने आई
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आजा जान जाने आई
सांस ले रहें हैं विदाई
भूल जाओ बीती बातें
पास आओ,सुनों दुहाई
उम्र भर हम चाहते रहे
तुमसे गुफ्तगू करते रहे
ये दिल्लगी है पुकारती
गले लग जा तू हरजाई
बाहें रहेंगी पलोसती
राह में रहेंगी खोजती
बाँहों में मुझे थाम लो
तुम मेरी बनो परछाई
तू ही है मेरी हमनशीं
तू ही है मेरी दिलनशीं
तेरी मय सी खुमारी है
मेरी आँखे हैं भर आई
तुम्ही हो मेरी मेहजबीं
मेरे जीवन की सरज़मीं
सुखविंद्र प्रेम है आरजू
नजर मेरी है निहारती
आजा जान जाने जाई
सांस ले रहें हैं विदाई
भूल जाओ बीती बातें
पास आओ,सुनो दुहाई
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)