आजा के मेरी खुशियों की सौगात बन के आ……….
आजा के मेरी खुशियों की सौगात बन के आ
चाँद तारों से महकी शबनमी रात बन के आ
ए सनम में भूल जाऊं अगले पिछले सारे गम
इस दिल में नई दुनियाँ की शुरुआत बन के आ
खिले फूल कभी दिल का रंग होंठों पे आ जाये
मेरे उजड़े हुये चमन में तिलिस्मात बन के आ
तस्वीर-ए-ख़याल-ए-यार से कहता है दिल अक्सर
देख सुनती है तो आजा करामात बन के आ
आये न रास हरदम दिन गर्म और रातें सर्द
में मोर बन के ना चूं तू बरसात बन के आ
जी उठे मरने के बाद मार मिटें उठने के बाद
दिलबर मेरे सूरत-ए-गुजर-औकात बन के आ
चलने को जगह’सरु’ न रुकने की ताब है मेरी
बह जायें हाये समंदर भी वो गात बन के आ
suresh sangwan(saru)