आजाद पंछी
जुबां पे शब्द नहीं, दिलों में एहसास रखते है
हम पंक्षियों का कोई घर नहीं, पूरा आसमां होता है
तिनका-२ चुनकर है अपना आशियां बनाते
तेज हवाएं उन घोसलों को है संग अपने ले जाती
फिर से चुनते है, फिर से बुनते है
मन के हौसलों को एक नई उड़ान देते है,
दो गज जमीन की चाह नहीं है हमें,
पंखों को फैलाकर अपने हम तो बस उड़ना चाहते है,
आजादी के सपने लेकर बस थोड़ा आसमां चाहते है,
खोल दो इन पिंजरों के दरवाजें, कर दो रिहा हमें
हर लम्हा सुकून से जी ले, बस इतनी सी खैर कर दो।
– सुमन मीना (अदिति)
I’m a Bird that don’t want a nest.
But, wanna fly from one place to next.