आजादी…
आजादी…
देश के वीरों के जब बात चली
देश की माटी भी महक उठी
सौ सौ बार नमन
उन वीर सपूतों को
जिन की खातिर
यह आजादी हमको मिली।
हिमालय को बचाने की खातिर
कुर्बान शहीदों ने शीश किये
हंस-हंसकर फाँसी के
फंदो पर झूल गए
झुकने न दी शान देश की
ना जाने कितने
अमर बलिदानी शहीद हुए।
उन महापुरुषों की वीर कहानी
आज बच्चा बच्चा दोहराता है
करके सीना चौड़ा कहता है
मैं उसे देश का वासी हूँ
जिस देश में भगतसिंह रहता है।
कैसे मैं अपनी भारत माँ का
इस जीवन में कर्ज चुका पाऊँगा
लेना होगा फिर इस
धरती पर जन्म दोबारा
तब भी शायद कुछ ही
ऋण चुका पाऊंगा।
गंगा जमुना सरस्वती
जहाँ होता इन तीनों का संगम है
उसे देश की खातिर मैं
अपना सर्वस्व करू निछावर
अपनी सांसों का पल-पल
अपने देश के नाम कर जाऊँगा।
हरमिंदर कौर
अमरोहा (यूपी)
मौलिक रचना