आजादी
आजाद भारत में आजादी के बदले पैमाने
अच्छे से तो आज की पीढ़ी समझे और जाने
अंग्रेजों से आज़ाद कराया तो आजादी कहलायी
देश से अपने उनको भगाया तो आजादी कहलायी
भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव सरीखों ने जब
फंदे को चूम झूल गए तो आज़ादी कहलायी
गांधी जी ने सूत काता तो आजादी कहलायी
अहिंसा का जय घोष हुआ तो आजादी कहलायी
तुम मुझे खून दो में तुम्हे आज़ादी दूंगा
नेता जी ने जब कहा तो आजादी कहलायी
लक्ष्मी ने शमशीर उठाई तो आजादी कहलायी
घोड़े पर हुई सवार तो आजादी कहलायी
मंगल पांडे ने नकार दिया तो आज़ादी कहलायी
अंग्रेजों को खदेड़ दिया तो आजादी कहलायी
हमने तो यही सब पढ़ा सुना था किताबों में
वीरता झलकती थी सेनानियों की बातों में
हाथ माथ मिल जाते थे शहीदों की शान में
जयकारे गूंज गूंज जाते भारत माता की आन में
लेकिन देखो आज परिवर्तन की लहर चली
आज़ादी की परिभाषा एक नई डगर चली
आँखें झुक झुक जाती इस नई आज़ादी में
मजबूरी में साथ खड़े नई पीढ़ी की बर्बादी में
आज़ादी से आज़ाद हो गए अपने ही देश में
आज सभी डूब गए पाश्चात्य परिवेश में
तन ढकने को पूरा लिबास ना अब भाता है
पब में पाँव थिरकते हाथ में जाम जब आता है
मां बाप की नसीहतें दफन हो गई चारदीवारी में
धर्म ग्रंथ गीता रामायण बंद हो गए अलमारी में
ना जाने कैसे कैसे संगीत के सब दीवाने हो गए
हम भी इस जमाने के संग अब तो मस्ताने हो गए
वीर कुमार जैन
14 अगस्त 2021