आजादी से पूर्व
आजादी के अमृत महोत्सव पर यह सोचने की आवश्यकता है कि कि हम स्वतंत्र भारत की स्वछन्द वायु में सांस ले रहे है यह आजादी यूँ ही नही मिली हजारों कुर्बानियों की आहुतियां गई इसे पाने में ।
अँग्रेजों से पहले और भी आक्रान्ता आए पर जिन्होंने अपने राजनीतिक और आर्थिक लाभ के लिए हमारी धरती का उपयोग किया। सन् 1600 में जब अँग्रेजों ने व्यापार के उद्देश्य से भारत में प्रवेश किया था तो मुगल सम्राट को भास भी नहीं था कि ये अँग्रेज व्यापार के बहाने उन्हें उनके राज्य से बेदखल कर देंगे देश पर अपना अधिकार कर लेंगे ।
1857 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों ने एक बहुत बड़े क्रांति के बिगुल को बजाया यहीं शुरुआत बाद में काफी फलदायक साबित हुई। अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत का असर पूरे देश में देखने को मिला। परिणामस्वरूप कई संगठन उभर कर सामने आए।जिनका उद्देश्य देश को अंग्रेेजों से मुक्त करवाना था । इसके लिए देश के वीर सपूत आगे आए और अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजों से भिड़ गए। इसमें कई वीर सपूत शहीद हुए, कई नेताओं को जेल जाना पड़ा और तब जाकर कहीं हमें ये आजादी मिली। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ ।