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23 Aug 2021 · 1 min read

आजादी से आबादी तक

देश दासता के चंगुल में,
फँसा रहा कई वर्षों तक।
अनगिनत कुर्बानियाँ देकर,
मिली आजादी अपने हक।

सिन्दुर गया किसी युवती का,
किसी माँ के गये हैं लाल।
तो किसी भाई ने भेजा,
भाई को कहकर देश संभाल।

गुलामी की उक्त दशा में,
समस्यायों का था अम्बार।
मिली आजादी सब बढ़ा,
बढ़ी आबादी अपरम्पार।

आजादी तो मिली है लेकिन,
आबादी से मन त्रस्त रहा।
द्वेष घृणा नफरत में उलझा,
दिखा नर यहाँ व्यस्त रहा।

★★★★★★★★★★★
अशोक शर्मा, कुशीनगर,उ.प्र.
★★★★★★★★★★★

Language: Hindi
2 Comments · 201 Views
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