*आजादी तो मिली मगर यह, लगती अभी अधूरी है (हिंदी गजल)*
आजादी तो मिली मगर यह, लगती अभी अधूरी है (हिंदी गजल)
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1)
आजादी तो मिली मगर यह, लगती अभी अधूरी है
एक राष्ट्र जन एक भावना, हुई न किंचित पूरी है
2)
पूजनीय भारत की नदियॉं, सागर पर्वत महापुरुष
इनको जिंदाबाद कहें सब, कहें न इनसे दूरी है
3)
वसुधा एक कुटुंब हमारा, आदिकाल से मंत्र रहा
अंतर्मन में बसा भाव यह, भारत की कस्तूरी है
4)
छोटे हृदय हुए धनिकों के, अक्सर देखा गया यही
बड़े हृदय का स्वामी करता, छोटी-सी मजदूरी है
5)
बॅंटे हुए हम जातिवाद में, लोभी थोड़े-से धन के
बर्बादी वाली यह आदत, बदले बहुत जरूरी है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451