आजादी के परवाने
आजादी की शमा पे जलने हम परवाने आए हैं
देश की खातिर शीश कटाने हम दीवाने आए हैं
आज लहू खौलता है नस नस में
और मौत ने ली अंगड़ाई है
हम सिंह शावकों को मिटाने
गीदड़ की टोली आई है
हिन्दुस्तान की गैरत को फिर
दुश्मन ने ललकारा है
आज वतन पर संकट है
ये हर बच्चा पुकारा है
आज नजर है खोज में उनकी
जो हमें मिटाने आए हैं
आजादी की शमा पे जलने ———
बहन आज ही बांध लो राखी
कल शायद ये हाथ ना हों
दुल्हन आज ही सेज सजा लो
कल शायद ये रात ना हो
मां चूम लो जी भा कर
कल ये मस्तक साथ ना हो
कफ़न सजा के शीश पे अपने
मां का कर्ज चुकाने आए हैं
आजादी की शमा पे जलने ————–
अपने वतन की आबरू
मिट कर भी हम बचाएंगे
कलम बना बंदूके अपनी
और खून की स्याही बना
बैरियों के शवों पर नया
इतिहास लिखते जाएंगे
हम दीवाने आज विजय को
अपनी दुल्हन बनने आए हैं
आजादी की शमा पे जलने हम परवाने आए हैं
देश की खातिर शीश कटाने हम दीवाने आए हैं