आजादी की धुन
हम भूल गये है उनको ,जो दे गये है कुर्बानी।
घर छोड़ा देश के हित मे, एक जज्बा था इंसानी।।
कुछ घर के समृद्धि मे,कुछ हालत नाजुक वाले।
क्रांति धारा मे कूद पड़े ,बन आजादी मतवाले।।
कोई देहाती या शहरी, ना भेद किसी के मन मे।
जो नीति बनाते नेता, सब उसी रहा पर चलते।।
मिशन था बस आज़ादी, ना फिक्र जान की करते।
हर कदम भरा खतरो से, आजादी की सजा सही।।
लिए खून के बदले खून, असहयोग अहिंसा राह चली।
अंग्रेजो भारत छोड़ो , हर जुबां पे ये नारा हुआ।।
आज़ादी लेकर ही रहे, स्वतंत्र देश हमारा हुआ।
विदेशी हकुमत ख़त्म हुई, अपना ही सविधान बना।।
तिरंगा झंडा फहराया अपना, भारत देश महान बना।
जय भारत जय हिंद ।।