आजादी की दुल्हन (कविता)
वीरों की लाशों की जयमाल माँ भारती के चरणों में चढ़ायी है।
आजादी की दुल्हन तब जाकर अपना पूर्ण श्रृंगार कर पायी है।।
नही लौटा इक माँ का दुलारा कभी
नटखट शैतान माँ का प्यारा कभी
कहकर गया था मैं अभी लौटकर आ जाऊँगा
आकर तुम्हारे हाथों से रोटी पेट भर खाऊँगा
मत ऐठना मेरे कान अब कभी तुम मइया
न बिल्कुल कभी तुमको अब मैं सताऊँगा।
उस बेटे ने मातृहस्त भोज की सारी आशाएँ बिसराई हैं।
आजादी की दुल्हन…………………………………………………………।
नहीं लौटा वापस इक बाप का सहारा कभी
अन्तिम शव यात्रा का अग्रदूत पुत्र प्यारा कभी
कहकर गया बाबा मैं अभी लौटकर आ जाऊँगा
तुम्हारे साथ अब मैं कन्धे से कन्धा मिलाऊँगा।
अब नहीं मिलेंगी तुमको मेरी शिकायतें बाबा
मैं आपको मर्यादित पुत्र बनकर दिखलाऊँगा।
उस पुत्र ने अपने पितृ वचन की समस्त बातें भुलाई हैं।।
आजादी की दुल्हन…………………………………………………………।
नहीं लौटा एक सुहागन का सिंदूर कभी
कहता था जो न जाऊँगा मैं तुमसे दूर कभी
कहकर गया था मैं अभी लौटकर आ जाऊँगा
आकर तेरी माँग में प्रिय चाँद सितारे सजाऊँगा
न छाने दूंगा तुम पर कभी मै गमों के बादल
तुम संग सारा जीवन हँसते मुस्कराते बिताऊँगा।
उस पति ने दाम्पत्य जीवन की अपनी सारी रस्में भुलाई हैं।
आजादी की दुल्हन…………………………………………………………।
नहीं लौटा गाँव गलियारों का घुमक्कड़ कभी
खेला था जो पीपल पर अक्कड़ बक्कड़ कभी
धमाचौकड़ी में न जीत सका कोई कभी उससे
पूरे गाँव में जिसकी शौतानी के मशहूर थे किस्से
बोलकर गया था मैं जल्द लौटकर आ जाऊँगा।
फिर से खेत खलिहानों में धमाचौकड़ी मचाऊँगा।
उस मनमौजी की तिरंगे में लिपटी लाश गाँव लौटकर आई है।
आजादी की दुल्हन…………………………………………………………।
छोड़ दिये अपने बचपन के सारे खेल खिलौने
छोटी सी कटोरी, चम्मच नन्हे-नन्हे से भगौने
छोड़ दिया जिसके स्कूल जाने का इरादा
छोड़ दिया किसी की माँग सिन्दूर सजाने का इरादा
कहते थे वतन पर अपनी जान निछावर कर जायेंगे
अंग्रेजी जंजीरो की कैद से माँ भारती को छुड़वायेंगे।
भगत राजगुरू सुखदेव ने फाँसी की सजा अपनायी है।
आजादी की दुल्हन…………………………………………………………।
बूँद-बूँद को पानी को तरसे कितने क्रान्तिकारी जेलों मे
तड़प-तड़पकर शहीद हो गये कितने अंग्रजी जेलों में
चलता था सीना तानकर उसका इरादा फौलादी था
छुका नही वो वीर कभी जज्बा उसका इन्कलाबी था
आजाद होकर चला जीवन भर आजादी का एक मतवाला
न छू पायी अंग्रेजी हुकूमत जिसे वो वीर था हिम्मतवाला
अपने ही हाथों चन्द्रशेखर आजाद ने सीने पर गोली चलाई था।
आजादी की दुल्हन…………………………………………………………।