आजादी की कीमत
आज जो हम ये इतना इतरा रहे हैं
रातों को भी चैन की नींद सो रहे हैं
आसान नहीं था पाना ये सब
पूरा पता नहीं हमे अब भी आजादी का मतलब
गुलाम थे जो उस समय वही जानते हैं
कैसे मिली आजादी खूब पहचानते हैं
यूँ ही नहीं मिली आजादी————
घुट घुटकर रहते थे लोग घरों में
सपने में भी सुख नहीं बात थी उनके स्वरों में
ये जीना भी कोई जीना है
अपने ही देश में जहर का घूँट पीना है
क्या हम कभी आजाद होंगे या नही
क्या अंधियारा टलेगा आजादी का सूर्य उगेगा कभी
यूँ ही नहीं मिली आजादी——-
कई वर्षों की मेहनत का परिणाम था
हर व्यक्ति का आराम हराम था
बडे बडे आंदोलन हुए थे
लोगों ने अपने तन मन धन खपाए थे
अनेकों ने बलिदान दिए थे
तब जाकर खुशी के दीप जलाए थे
यूँ ही नहीं मिली आजादी—–
नमन है उनको जिन्होंने भारत देश आजाद कराया
ऋण उनका चुका न पाएंगे आखिर यह पाया
मिली जो आजादी हमें कायम रहेगी ये प्रण है
फिर कभी बुरी नजर न पडने देगे ये प्रण है
आओ सब मिलकर प्रण करें कायम रहे माँ भारती की आजादी——
अशोक छाबडा
09102017