“आजादी का आगाज”
आये थे बनकर व्यापारी,,
विरासत के राजा बन बैठे।
अंग्रेज छीन हमसे आजादी,,
एक बड़ी भूल थे कर बैठे।।
जिस भारत में राम हुए हैं,,
कृष्ण सुदर्शन-धारी हैं।
जिस भारत की बगिया के,,
संयम-शक्ति फुलवारी हैं।।
उस भारत को आँख दिखाना,,
चाहा उन अँग्रेजों ने।
बाँट लिया भारत को पूरा,,
मिलकर ब्रितानी मेजों ने।।
—-भविष्य त्रिपाठी