आजादी का अमृत गौरव
आजादी का हूं अमृत गौरव
यह एहसास कराने आया हू।
विश्व पटल।पर भारत भूमि की
अलख जगाने आया हू।
चाचा नेहरू और बापू के
सपनो का ये भारत है।
दृष्टि एवम दृष्टिकोण में
सदियों से हासिल महारत है।
चला कदम से कदम मिलाकर
जन जन की भागीदारी है।
दलित पिछड़ा मजदूर सिपाही
सबकी इसमें सांझेदारी है।
घर घर में यहां चहके कोयल
डाल डाल हरियाली है।
स्वच्छ स्वस्थ बन रहा है भारत
गंगा साफ निराली है।
नए भारत की छवि अनोखी
चाहे सड़क उधान हो।
परचम लहरा खेल जगत में
चाहे इसरो,चंद्रयान हो।
विश्व पर गहराया संकट
वेक्सीन खुद ही बनाया था
हर बच्चे तक पहुंचे शिक्षा
शिक्षक ने लैपटॉप उठाया था।
हर हस्ती को,हर बस्ती को
यह एहसास कराने आया हूं।
विश्व पटल पर भारत भूमि की
अलख जगाने आया हूं।