आजादी अभी नहीं पूरी / (समकालीन गीत)
मीलों-मीलों,
कोसों-कोसों
है बनी हुई
इससे दूरी ।
आजादी
अभी नहीं पूरी,
आजादी
अभी नहीं पूरी ।
अब भी नारे
जेहाद भरे,
अब भी तारे
अवसाद भरे ।
अब भी खंडित
ममता-गागर,
अब भी कंपित
समता-सागर ।
अब भी धरती
पर भार बहुत,
अब भी उठता
है ज्वार बहुत ।
अब भी उठती
रहती हिलोर
ऊँची-नीची
नीची-ऊँची ।
अब भी है
पीर मुहानों पर
घाटों पर काई
औ’ धूरी ।
वैषम्य बेल
लिपटी डाली,
फलते जिसमें
कटुता के फल,
पत्तों की
कोमलता गायब,
पुष्पों मे
मादकता का जल ।
जड़ है भूखी,
रूखी-सूखी ।
हिकमत फूटी,
हिम्मत टूटी ।
अब भी कटती
रहती वन्या,
अब भी सहमी
सहमी कन्या ।
रोटी में अब
भी चिट्टे हैं,
अब भी चिकनी
चौड़ी पूरी ।
अब भी हैं
फंद उड़ानों में,
अब भी है
द्वंद्व घरानों में ।
अब भी चलते
खोटे सिक्के,
चोखों की
हालत है खस्ता,
अब भी भूखा
है पेट किंतु
लादे भारी
भरकम बस्ता ।
अब भी सरहद
पर हैं बाँके,
चुनते फूलों के
जो काँटे ।
जिनकी राखी
सूनी-सूनी,
खंडित बिंदिया,
फूटी चूरी ।
आज़ादी अभी
नहीं पूरी,
आजादी अभी
नहीं पूरी ।
मीलों-मीलों
कोसों-कोसों
है बनी हुई
इससे दूरी ।
आजादी अभी
नहीं पूरी ,
आजादी अभी
नहीं पूरी ।
000
— ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),सागर
मध्यप्रदेश ।