*आजादी अक्षुण्ण हो, प्रभु जी दो वरदान (कुंडलिया)*
आजादी अक्षुण्ण हो, प्रभु जी दो वरदान (कुंडलिया)
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आजादी अक्षुण्ण हो, प्रभु जी दो वरदान
लोकतंत्र की राह पर, नहीं दिखें व्यवधान
नहीं दिखें व्यवधान, सभी षड्यंत्र हराऍं
करने हमें गुलाम, शक्तियॉं थक-थक जाऍं
कहते रवि कविराय, करो हर ओर मुनादी
प्यारा हमको हिंद, तिरंगे की आजादी
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451